
श्राप केवल शब्द नहीं होता, वह समय के साथ जीवित रहता है और तब तक पीछा करता है जब तक अपना कार्य पूरा न कर ले, "इस हवेली का कोई भी वंशज जीवित नहीं रहेगा! जिस रात रक्तचंद्र निकलेगा, उस रात इस परिवार का आखिरी वारिस, तुम्हारे बेटे का अंत हो जाएगा!" इस श्राप के साथ उसकी और उसके पिता की जिंदगी बदल गई और अब, 14 वर्षों बाद, वह शापित रात आ चुकी थी। जैसे ही रक्तचंद्र उदय हुआ, दुष्ट आत्माएँ जाग उठीं। उन्होंने अंतिम वंश का पीछा करना शुरू कर दिया, जो भागने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था। तभी उसके साथ एक ऐसी घटना घटी जिससे उसकी नियति ही बदल गई। वह इंसान से कुछ और बन गया। आधा इंसान, आधा भूत। अब वह दोनों लोकों के बीच फँस चुका था। उसके चाचा, जो रहस्यमयी तांत्रिक थे, वो उसके गुरु बने और उसे एक भयनाक सत्य से परिचित कराया। अब वह सिर्फ जीवित नहीं, बल्कि उन आत्माओं का शिकार भी है, जिन्हें वह खुद से दूर रखना चाहता था। लेकिन नियति उसे भागने नहीं देगी, क्योंकि उसे एक कार्य सौंपा गया। दुष्ट आत्माओं को नर्क तक पहुँचाने का। जिसके बाद उसका संघर्ष और जिंदगी की लड़ाई और बड़ गई। क्या वह अपने इस श्राप को शक्ति में बदल पाएगा? या फिर आत्माएँ उसकी आत्मा को हमेशा के लिए निगल जाएँगी? जानने के लिए सुनिए, "Ardhatma - Ek Shapit Bhagya" सिर्फ "Pocket FM" पर।
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