
Adhuri Mohbbat
वैदिक काल से ही लोग मोहब्बत के दुश्मन रहे हैं, चाहे वह धरती हो या स्वर्गलोक। कहते हैं, जोड़ियाँ स्वर्ग में बनती हैं। ऐसी ही एक जोड़ी के दो फूल, छुप-छुपकर प्रेम की वर्षा कर रहे थे। स्वर्गलोक की अनुपम सौंदर्य की मूरत — उर्वशी की पुत्री अल्का, जो अपनी पवित्रता और नृत्य-कला में निपुण थी। अल्का, पूरे स्वर्गलोक की जान थी। एक बार अल्का को नृत्य सभा में आने का बुलावा आता है, लेकिन वह कहती है, "आज मेरी तबीयत बहुत खराब है।" यह सूचना दासी इन्द्रदेव को देती है। जैसे ही इन्द्रदेव यह सुनते हैं, वे स्वयं अल्का के कक्ष की ओर प्रस्थान करते हैं। कक्ष का द्वार खुलते ही, उनकी आंखों में क्रोध की अग्नि भड़क उठती है — अल्का और उसका प्रियतम युग, एक-दूसरे की बाँहों में, प्रेम की वर्षा कर रहे थे। उन्हें इस बात का तनिक भी भान नहीं था कि स्वयं इन्द्रदेव उनके समक्ष खड़े हैं। तभी इन्द्रदेव गरजते हुए कहते हैं: "बंद करो ये रासलीला! मैं तुम्हें शाप देता हूँ कि तुम दोनों..." अगर आप चाहें, तो मैं इस कहानी को आगे भी बढ़ा सकता हूँ — जैसे कि इन्द्रदेव का शाप क्या था, अल्का और युग का क्या हुआ, और यह प्रेम गाथा किस मोड़ पर पहुँची।
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