
"अग्निरक्तः बहिष्कृत से सम्राट अजेय"
यह गाथा है विक्रांत की—एक साधारण युवक जिसकी नियति उसे गद्दार ठहराकर अपमानित करती है। दरबार की साज़िशें, झूठे आरोप और जनता का तिरस्कार उसे महल की चौखट से दूर निर्वासन की ओर धकेल देते हैं। पर वही अपमान उसकी आत्मा में ऐसी ज्वाला भरता है कि वह तलवार उठाकर सत्य और न्याय की खोज में निकल पड़ता है। सफ़र आसान नहीं—जंगल के डाकू, भाड़े के हत्यारे, विषाक्त षड्यंत्र, और दरबार में बैठे उसके अपने शत्रु उसे हर मोड़ पर खत्म करने को तैयार रहते हैं। पर विक्रांत का हर घाव उसे और मज़बूत बनाता है। वह सीखता है कि असली योद्धा वही है जो दर्द को भी कवच बना ले। इस यात्रा में प्रेम भी है—राजकुमारी अदिति का मौन साथ, जिसकी आँखों में विश्वास और हृदय में त्याग है। दोनों का प्रेम उतना ही पवित्र जितना कठिन, क्योंकि उनके बीच सत्ता और साज़िश की खाई है। उनका मिलन हर बार अधूरा रह जाता है, पर वही वियोग विक्रांत को अजेय बना देता है। “रक्तसिंहासन” सिर्फ़ युद्ध की कथा नहीं, यह उस संघर्ष की दास्तान है जिसमें इंसान शून्य से शिखर तक का सफ़र करता है। यहाँ तलवारें टकराती हैं, मित्र विश्वासघात करते हैं, और प्रेम हर घाव पर मरहम बनकर खड़ा रहता है। हर अध्याय तुम्हें खून और आँसुओं की गंध के बीच ले जाएगा, जहाँ तुम्हारा दिल कभी करुणा से भीग जाएगा तो कभी साहस से धड़क उठेगा। यह सिर्फ़ एक कहानी नहीं, यह उस आत्मा का आह्वान है जो हर अन्याय के खिलाफ़ खड़ा होता है। विक्रांत की यह यात्रा पूछती है—क्या अपमान से जन्मा योद्धा सच में अमर हो सकता है? और क्या प्रेम और वियोग की अग्नि उसे रक्तसिंहासन तक पहुँचा पाएगी?
Disclaimer: This show may contain expletives, strong language, and mature content for adult listeners, including sexually explicit content and themes of violence. This is a work of fiction and any resemblance to real persons, businesses, places or events is coincidental. This show is not intended to offend or defame any individual, entity, caste, community, race, religion or to denigrate any institution or person, living or dead. Listener's discretion is advised.Less